धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
The mom fowl Maina wishes his passion, His still left aspect adorns an enchanting variety. He holds a trident in his hand, a image of ability, Often destroying the enemies.
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥ धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
मंत्र महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् - अयि गिरिनन्दिनि
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न Shiv chaisa काऊ॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
संकट से मोहि आन उबारो ॥ मात-पिता भ्राता सब होई ।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥
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